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*134 दिन के लिए बंद हुए ऐतिहासिक उत्तरी भारत के सुप्रसिद्ध कार्तिक स्वामी कुगति मंदिर के कपाट*

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ओपी शर्मा भरमौर
उत्तर भारत के प्रसिद्ध भगवान कार्तिक स्वामी के मंदिर के कपाट शनिवार विधिवत रूप से बंद कर दिए गए,जो अब आगामी वर्ष वैसाखी के दिन धार्मिक परम्पराओं का निर्वहन करते हुए खुलेंगे । सदियों से चली आ रही इस परम्परा को निभाते हुए कार्तिक स्वामी के पुजारियों ने सैकड़ों की संख्या में प्रदेश के विभिन्न  विभिन्न कोनों से पहुंचे श्रद्धालुओं की उपस्थिति  में कपाट बंद किए ,जो 134 दिनों के बाद वैसाखी के दिन यानी 14 अप्रैल को श्रद्धालुओं के लिए दर्शनों हेतु खुलेंगे। इस 134 दिनों तक मंदिर के कपाट बंद रहने वाले समय को स्थानीय भाषा में ,अंदरौल, कहा जाता है,जिसका अर्थ है, एकांत, । धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दौरान देवी देवता एकांतवास में चले जाते है,अपनी तपस्या में लीन हो जाते हैं,इसीलिए इस अवधि में यहां के मंदिरों में पूजा,पाठ,हवन कीर्तन तथा मंदिरों की घंटियां आदि बजाना वर्जित होता है। सभी श्रद्धालुओं का मंदिर की तरफ आना इसी लिए वर्जित होता है ताकि किसी भी प्रकार के शोर शराबे  से देवताओं की तपस्या या एकाग्रता में किसी प्रकार का विघ्न न  पड़े और अगर इसमें किसी भी प्रकार का विघ्न पड़ता है तो वह क्षेत्र में किसी भी अनहोनी का कारण बन सकता है। इसलिए श्रद्धालुओं का मंदिर की तरफ आना वर्जित रहता है। पुरानी परम्पराओं के अनुसार मंदिर के पुजारी कपाट बंद करने से पहले एक पानी से भरा कलश मंदिर के अंदर रखते हैं। जब वैसाखी के दिन मंदिर के कपाट खोले जाते हैं तो पानी के इस कलश में पानी का स्तर बताता है कि  अगले वर्ष क्षेत्र में फसलों तथा सुख समृद्धि कैसी  रहेगी। अगर कलश में पानी का स्तर अधिक हो यानि कलश भरा हुआ हो तो सुख समृद्धि एवं  अच्छी फसलों का प्रतीक होता है और अगर पानी का स्तर कम हो गया हो या पानी सूख  गया हो तो विभिन्न आपदाओं का अंदेशा रहता है, ऐसी  मान्यता होती है। 

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Himachal 84 TV
Author: Himachal 84 TV

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